ऐ मेरी प्रेरणा-बीन के वादक! बे जाने जब जब, बजा चुके हो, जगा चुके हो, सोते फितनों को जब-तब, किन चरणों में आज उन्हें रक्खूँ?...
बोल राजा, बोल मेरे! दूर उस आकाश के- उस पार, तेरी कल्पनाएँ- बन निराशाएँ हमारी,...
तु ही क्या समदर्शी भगवान? क्या तू ही है, अखिल जगत का न्यायाधीश महान? क्या तू ही लिख गया...
दूर न रह, धुन बँधने दे मेरे अन्तर की तान, मन के कान, अरे प्राणों के अनुपम भोले भान।...
पुतलियों में कौन? अस्थिर हो, कि पलकें नाचती हैं! विन्ध्य-शिखरों से तरल सन्देश मीठे...
धमनी से मिस धड़कन की मृदुमाला फेर रहे? बोलो! दाँव लगाते हो? घिर-घिर कर किसको घेर रहे? बोलो!...
अन्धकार की अगवानिन हँस कर प्रभात सी फूली है, यह दासी धनश्याम काल की ले चादर बूटों वाली उढ़ा नाथ को, यह अनाथ होने के पथ में भूली है! गोधूली है।...
कौन? याद की प्याली में बिछुड़ना घोलता-सा क्यों है? और हृदय की कसकों में गुप-चुप टटोलता-सा क्यों है?...
वह टूटा जी, जैसा तारा! कोई एक कहानी कहता झाँक उठा बेचारा! वह टूटा जी, जैसे तारा!...
यह चरण ध्वनि धीमे-धीमे! भाग्य खोजता है जीवन के खोये गान ललाम इसी में, यह चरण ध्वनि धीमे-धीमे!...
खोने को पाने आये हो? रूठा यौवन पथिक, दूर तक उसे मनाने आये हो? खोने को पाने आये हो?...
जब तुमने यह धर्म पठाया मुँह फेरा, मुझसे बिन बोले, मैंने चुप कर दिया प्रेम को और कहा मन ही मन रो ले...
जिस ओर देखूँ बस अड़ी हो तेरी सूरत सामने, जिस ओर जाऊँ रोक लेवे तेरी मूरत सामने।...
कैसे मानूँ तुम्हें प्राणधन जीवन के बन्दी खाने में, श्वास-वायु हो साथ, किन्तु वह भी राजी कब बँध जाने में?...
वे तुम्हारे बोल! वह तुम्हारा प्यार, चुम्बन, वह तुम्हारा स्नेह-सिहरन वे तुम्हारे बोल!...
मन धक-धक की माला गूँथे, गूँथे हाथ फूल की माला, जी का रुधिर रंग है इसका इसे न कहो, फूल की माला!...
मत झनकार जोर से स्वर भर से तू तान समझ ले, नीरस हूँ, तू रस बरसाकर, अपना गान समझ ले।...
उड़ने दे घनश्याम गगन में| बिन हरियाली के माली पर बिना राग फैली लाली पर बिना वृक्ष ऊगी डाली पर...
गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ, दुपहर आई वर-छाँह में बिठाओ नेक। वासना-विहंग बृज-वासियों के खेत चुगे, तालियाँ बजाओ आओ मिल के उड़ाओ नेक।...
जो न बन पाई तुम्हारे गीत की कोमल कड़ी। तो मधुर मधुमास का वरदान क्या है? तो अमर अस्तित्व का अभिमान क्या है?...
दुर्गम हृदयारण्य दण्डका- रण्य घूम जा आजा, मति झिल्ली के भाव-बेर हों जूठे, भोग लगा जा!...
बोल राजा, स्वर अटूटे मौन का अब बाँध टूटे जी से दूर मान बैठी थी जी से कैसे दूर? बता दो?...
हाँ, याद तुम्हारी आती थी, हाँ, याद तुम्हारी भाती थी, एक तूली थी, जो पुतली पर तसवीर सी खींचे जाती थी;...
अपना आप हिसाब लगाया पाया महा दीन से दीन, डेसिमल पर दस शून्य जमाकर लिखे जहाँ तीन पर तीन।...
तू चाहे मुझको हरि, सोने का मढ़ा सुमेरु बनाना मत, तू चाहे मेरी गोद खोद कर मणि-माणिक प्रकटाना मत, तू मिट जाने तक भी मुझमें से ज्वालाएँ बरसाना मत, लावण्य-लाड़िली वन-देवी का लीला क्षेत्र बनाना मत,...
महलों पर कुटियों को वारो पकवानों पर दूध-दही, राज-पथों पर कुंजें वारों मंचों पर गोलोक मही।...
और यह आई मधुर आवाज-सी जब प्रलय ने नेत्र खोला किन्तु मानव था, न डोला बादलों ने घुमड़ कर जब...
हरा हरा कर, हरा- हरा कर देने वाले सपने। कैसे कहूँ पराये, कैसे गरब करूँ कह अपने!...
सुनकर तुम्हारी चीज हूँ रण मच गया यह घोर, वे विमल छोटे से युगल, थे भीम काय कठोर;...
हे प्रशान्त! तूफान हिये- में कैसे कहूँ समा जा? भुजग-शयन! पर विषधर- मन में, प्यारे लेट लगा जा!...
मेरे गो-कुल की काली रातों के ऐ काले सन्देश, रे आ-नन्द-अजिर के मीठे, प्यारे घुँघराले सन्देश। कृष-प्राय, कृषकों के, आ राधे लख हरियाले सन्देश, माखन की रिश्वत के नर्तक, मेरे मतवाले सन्देश,...
आ मेरी आंखों की पुतली, आ मेरे जी की धड़कन, आ मेरे वृन्दावन के धन, आ ब्रज-जीवन मन मोहन!...
यौवन की पुकार करते हो, जीने दो दरकार नहीं, रूप-राशि का दम भरते हो, मुझे किन्तु एतबार नहीं, नहीं सीपियों पर ललचूँगी, मुझे चाहिए वे मोती, भूतल हीतल अंतरतल में जगमग हो जिनकी जोती,...