उठ अब, ऐ मेरे महाप्राण
उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण! आत्म-कलह पर विश्व-सतह पर कूजित हो तेरा वेद गान! उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण! जीवन ज्वालामय करते हों लेकर कर में करवाल करते हों आत्मार्पण से भू के मस्तक को लाल! किन्तु तर्जनी तेरी हो, उनके मस्तक तैयार, पथ-दर्शक अमरत्व और हो नभ-विदलिनी पुकार; वीन लिये, उठ सुजान, गोद लिये खींच कान, परम शक्ति तू महान। काँप उठे तार-तार, तार-तार उठें ज्वार, खुले मंजु मुक्ति द्वार। शांति पहर पर, क्रान्ति लहर पर उठ बन जागृति की अमर तान; उठ अब, ऐ मेरे महा प्राण!

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