गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ
गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ, दुपहर आई वर-छाँह में बिठाओ नेक। वासना-विहंग बृज-वासियों के खेत चुगे, तालियाँ बजाओ आओ मिल के उड़ाओ नेक। दम्भ-दानवों ने कर-कर कूट टोने यह, गोकुल उजाड़ा है, गुपाल जू बसाओ नेक। मन कालीमर्दन हो, मुदित गुवर्धन हो, दर्द भरे उर-मधुपुर में समाओ नेक।

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