अपना आप हिसाब लगाया
अपना आप हिसाब लगाया पाया महा दीन से दीन, डेसिमल पर दस शून्य जमाकर लिखे जहाँ तीन पर तीन। इतना भी हूँ क्या? मेरा मन हो पाया निःशंक नहीं, पर मेरे इस महाद्वीप का इससे छोटा अंक नहीं! भावों के धन, दाँवों के ॠण, बलिदानों में गुणित बना, और विकारों से भाजित कर शुद्ध रूप प्यारे अपना!

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