सजल गान, सजल तान
सजल गान, सजल तान स-चमक चपला उठान, गरज-घुमड़, ठान-ठान बिन्दु-विकल शीत प्राण; थोथे ये मोह-गीत एक गीत, एक गीत! छू मत आचार्य ’ग्रन्थ’ जिसके पद-पद अनंत, वाद-वाद, पन्थ-पन्थ, व्यापक पूरक दिगंत; लघु मैं, कर मत सभीत। एक गीत, एक गीत! छू मत तू प्रणय गान जिसके उलझे वितान, मादक, मोहक, मलीन चूम चाम की लुभान कर न मुझे चाह-क्रीत, एक गीत, एक गीत! संस्कृति का बोझ न छू छू मत इतिहास-लोक, छू मत माया न ब्रह्म, छू मत तू हर्ष-शोक, सिर पर मत रख अतीत; एक गीत, एक गीत! छू मत तू युद्ध-गान हुंकॄति, वह प्रलय-तान, बज न उठें जंजीरें, हथकड़ियाँ छू न प्राण! मौत नहीं बने मीत एक गीत, एक गीत! गीत हो कि जी का हो, जी से मत फीका हो, आँसू के अक्षर हों, स्वर अपने ’ही’ का हो, प्रलय-हार प्रलय-जीत एक गीत, एक गीत!

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