महलों पर कुटियों को वारो
महलों पर कुटियों को वारो पकवानों पर दूध-दही, राज-पथों पर कुंजें वारों मंचों पर गोलोक मही। सरदारों पर ग्वाल, और नागरियों पर बृज-बालायें हीर-हार पर वार लाड़ले वनमाली वन-मालायें छीनूँगी निधि नहीं किसी- सौभागिनि, पूण्य-प्रमोदा की लाल वारना नहीं कहीं तू गोद गरीब यशोदा की।

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