आ मेरी आंखों की पुतली
आ मेरी आंखों की पुतली, आ मेरे जी की धड़कन, आ मेरे वृन्दावन के धन, आ ब्रज-जीवन मन मोहन! आ मेरे धन, धन के बंधन, आ मेरे तन, जन की आह! आ मेरे तन, तन के पोषण, आ मेरे मन-मन की चाह! केकी को केका, कोकिल को- कूज गूँज अलि को सिखला! वनमाली, हँस दे हरियाली वह मतवाली छवि दिखला!

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