चला भी न चला वह समय के साथ, जहाँ सब चलते हैं जमीन में जीने के लिए, गंध और गमक से गमगमाते शब्द और अर्थ से खिलखिलाते। न हुई सुबह उसकी सुबह; न हुआ दिन उसका दिन, न हुई शाम उसकी शाम, न हुई रात उसकी रात। न चुका भी चुका है वह दूसरों के लिए, अपने लिए नहीं।