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मैंने मारा, हाँ मैंने ही मारा है, मारा है, पथ से जारा बहकते युग को ललकारा है मैंने। तुम क्या जानो, मेरे युग पर क्या-क्या बीत रही है, सब इल्जाम मुझे स्वीकृत हैं,...

कलम चल पड़ी, और आज लिखने बैठी हैं युग का जीवन, विहँस अमरता आ बैठी त्योहार मनाने मेरे आँगन। पानी-सा कोमल जीवन बादल-सा बलशाली हो आया,...

श्यामल प्रभु से, भू की गाँठ बाँधती, जोरा-जोरी, सूर्य किरण ये, यह मन-भावनि, यह सोने की डोरी, छनक बाँधती, छनक छोड़ती, प्रभु के नव-पद-प्यार पल-पल बहे पटल पृथिवी के दिव्य-रूप सुकुमार!...

मैं नहीं बोली, कि वे बोला किये। हृदय में बेचैन मुख खोला किये, दो हृदय ले, तौल पर तौला किये।...

वृक्ष, वल्लरि के गले मत— मिल, कि सिर चढ़ जायगी यह, और तेरी मित भुजाओं— पर अमित हो छायगी यह।...

वह मरा कश्मीर के हिम-शिखर पर जाकर सिपाही, बिस्तरे की लाश तेरा और उसका साम्य क्या? पीढ़ियों पर पीढ़ियाँ उठ आज उसका गान करतीं, घाटियों पगडंडियों से निज नई पहचान करतीं,...

यह अँगूठी सखि निरख एकान्त की, जड़ चलो हीरा उपस्थिति का, सुहागन जड़ चलो। दामिनी भुज की--सयम की--अँगुली छिगुनी, पहिन कर बैठे जरा नीलम भरे जल-खेत में,...

वीर सा, गंभीर-सा है यह खड़ा, धीर होकर यों अड़ा मैदान में, देखता हूँ मैं जिसे तन-दान में, जन-दान में, सानंद जीवन-दान में।...

सुलझन की उलझन है, कैसी दीवानी, दीवानी! पुतली पर चढ़कर गिरता गिर कर चढ़ता है पानी!...

बिन छेड़े, जी खोल सुगन्धों को जग में बिखरा दूँगा; उषा-राग पर, दे पराग की भेंट, रागिनी गा दूँगा; छेड़ोगे, तो पत्ती-पत्ती चरणों पर बिखरा दूँगा; संचित जीवन साध कलंकित न हो, कि उसे लुटा दूँगा;...

मत रूठो ओ भाव-रंगिनी, स्वर पर कुछ निखार आने दो! सौ उसाँस पर एक साँस की नागन बार-बार आने दो। गोदी में लो, कान उमेठो, गले लगाओ, शत शिर डोलें,...

प्रिय न्याय तुम्हारा कैसा, अन्याय तुम्हारा कैसा? यह इधर साधु की कुटिया जो तप कर प्राण सुखाता, तेरी वीणा के स्वर पर दीनों में मिल-मिल जाता।...

ना, ना, ना, रे फूल, वायु के झोंको पर मत डोल सलोने, सोने सी सूरज-किरनों से, पंखड़ियों से बोल सलोने, सावन की पुरवैया जैसे भ्रंग--कृषक तेरे तेरे पथ जोहें, तेरे उर की एक चटख पर हो न जाय भू-डोल सलोने!...

स्मृति के मधुर वसंत पधारो! शीतल स्पर्श, मंद मदमाती मोद-सुगंध लिये इठलाती वह काश्मीर-कुंज सकुचाती...

गौरव-शिखरों! नहीं, समय की मिट्टी में मिलवाओ, फिर विन्ध्या के मस्तक से करुणा-घन हो झरलाओ, पृथिवी के आकर्षण के प्रतिकूल उठूँ, दिन लाओ, जल से प्रथम मुझे आतप की किरणों में नहलाओ!...

मैं भावों की पटरानी, क्या समझेगा मानव गरीब, मेरी यह अटपट बानी? श्रम के सीकर जब ढुलक चले, अरमान अभागे झुलस चले,...

तुम मिले, प्राण में रागिनी छा गई! भूलती-सी जवानी नई हो उठी, भूलती-सी कहानी नई हो उठी, जिस दिवस प्राण में नेह-बंशी बजी,...

तरुणई ज्वार बन कर आई। वे कहते मुझसे गई उतर, मैंने देखा वह चढ़ छाई। जीवन का प्यार खोलती है,...

हास्य का प्रपात, प्राण मेरु से गिरा कि ध्वनि बिखर उठी! और एक कान पर रखे करारविन्द...

अरे निवासी अन्तरतर के हृदय-खण्ड जीवन के लाल त्रास और उपहास सभी में रहा पुतलियाँ किये निहाल।...

एक मौत पर, दूजे दिल पर, और तीसरे ’उन पर’ आली, मेरा बस न चलाये चलता, साधें रीतीं, आँखें खाली! अब तो दूर गई हरियाली बिजली का सिर चढ़ चढ़ जाना,...

वे दिन भला किया जो भूले। दृग-जल-जमुना बढ़ी किन्तु श्यामल वे चरण न पाये, कोटि-तरंग-बाँह के पंथी, तट-मूर्च्छित फिर आये, अब न अमित! विभ्रम दे, चल--...

कहानी बोल नये सपने! अरी अभागिन, पहिले ही क्यों ओंठ लगे कँपने? कहानी बोल नये सपने!...

धरती बोल रही है--धीरे धीरे धीरे मेरे राजा, मेरा छेद कलेजा हल से फिर दाना बन स्वयं समा जा। माटी में मिल जा ओ मालिक, माँद बना ले गिरि गह्वर में,...

बहुत बोल क्या बोलूँ ये सब सपने हैं उधार के राजा। बहुत भले लगते हैं; गहने अपने हैं उधार के राजा! तुझे जोश आता है, देखा; तुझे क्रोध आता है, माना।...

लिपट कर गईं बलवान चाहें, घिसी-सी हो गईं निर्माल्य आहें, भृकुटियाँ किन्तु हैं निज तीर ताने हुए जड़ पर सफल कोमल निशाने।...

राम की जय पर खड़ी है रोटियों की जय? त्याग कि कहने लग गया लँगोटियों की जय? हाथ के तज ’काम’ हों आदर्श के बस ’काम’ राम के बस काम क्यों? हों काम के बस राम।...

गो-स्तनों पर घूमने वाली अँगुलियाँ कह रही थीं! दूध में मीठा न डालो उसे अपमानित न कर दो,...

तरुणाई के प्रथम चरण में जोड़ी टूट गई, फूली हुई रात की रानी, प्रातः रूठ गई! गन्ध बनी, साँसों भर आई छन्द बनी फूलों पर छाई...

ये साधन के बाँट साफ हैं, ये पल्ले कुटिया के, श्रम, चिन्तन, गुन-गुन के ये गुन बँधे हुए हैं बाँके, जितने मन पर मनमोहन अपना दर्शन दिखलाता कितनी बार चढ़ा जाता हूँ, उतना हो नहिं पाता।...

उनके सपने हरियाता मेरी सूझों का पानी मुझसे बलि-पन्थ हरा है, मुझ पर दुनियाँ दीवानी! एकान्त हमारा, विधि से विद्रोहों की मस्ती है, उन्माद हमारा, शत-शत अरमानों की बस्ती है।...

कुछ पतले-पतले धागे मन की आँखों के आगे! वे बोले गीतों का स्वर, गीतों की बातों का घर,...

मार डालना किन्तु क्षेत्र में जरा खड़ा रह लेने दो, अपनी बीती इन चरणों में थोड़ी-सी कह लेने दो;...

तुही है बहकते हुओं का इशारा, तुही है सिसकते हुओं का सहारा, तुही है दुखी दिलजलों का ’हमारा, तुही भटके भूलों का है धुर का तारा,...

एक कहता है कि जीवन की कहानी बेगुनाह, एक बोला चल रही साँसें-सधीं, पर बेगुनाह, एक ने दोनो पलक यों धर दिये, एक ने पुतली झपक ली, वर दिये,...

मत दबा समय की चट्टानों के नीचे, दोनों हाथों तेरी मूरत को खींचे, चरणों को धोते, आधे से दृग मींचे, मैं पड़ा रहूँगा तरु-छाया के नीचे,...

नाद की प्यालियों, मोद की ले सुरा गीत के तार-तारों उठी छा गई प्राण के बाग में प्रीति की पंखिनी बोल बोली सलोने कि मैं आ गई!...

’आते-आते रह जाते हो, जाते-जाते दीख रहे आँखें लाल दिखाते जाते चित्त लुभाते दीख रहे।...

युग तुम में, तुम युग में कैसे झाँक रहे हो बोलो? उथल-पुथल तब हो कि समय में जब तुम जीवन घोलो। तुम कहते हो बलि से पहले अपना हृदय टटोलो, युग कहता है क्रान्ति-प्राण! पहिले बन्धन तो खोलो।...

चट जग जाता हूँ, चिराग को जलाता हूँ, हो सजग तुम्हें मैं देख पाता हूँ कि पैठे हो; पास नहीं आते, हो पुकार मचवाते, तकसीर बतलाओ क्यों यों बदन उमैठे हो?...