समय की चट्टान
मत दबा समय की चट्टानों के नीचे, दोनों हाथों तेरी मूरत को खींचे, चरणों को धोते, आधे से दृग मींचे, मैं पड़ा रहूँगा तरु-छाया के नीचे, स्वागत, जग चाहे कितना कीच उलीचे। मत दबा समय की चट्टानों के नीचे।

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