यह लाशों का रखवाला
उनके सपने हरियाता मेरी सूझों का पानी मुझसे बलि-पन्थ हरा है, मुझ पर दुनियाँ दीवानी! एकान्त हमारा, विधि से विद्रोहों की मस्ती है, उन्माद हमारा, शत-शत अरमानों की बस्ती है। हमने दुनियाँ खो डाली, तब जग ने हमको पाया! हम अपने पर हँस उट्ठे, तब कहीं जगत रो पाया! ईंटों, पाषाणों का नर, ईमान न जीने देगा, यह लाशों का रखवाला, नव-प्राण न जीने देगा!

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