चलनी चालते हैं छोटे-बड़े आयोग। छेद-छेद से झराझर झरता है तथाकथित यशस्वियों का भ्रष्टाचार, आततायियों का अत्याचार।...
न रही अब कुआँर में बादलों की चिरकुटिया लँगोटी, और सूर्य ने अंतरिक्ष से आँख तरेरी,...
लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया एटली-बेविन-अंग्रेज़ों में, खोया और बिलाया भारत-माँ का पूत-सिपाही, पर घर में भरमाया अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद का, उसने डिनर उड़ाया...
लघुत्तम है उसका अस्तित्व जिसे कोई नहीं जानता महत्तम है उसकी ग़रीबी क्षितिज तक फैली छायाओं के सामान...
ओस-बूंद कहती है; लिख दूं नव-गुलाब पर मन की बात। कवि कहता है : मैं भी लिख दूं प्रिय शब्दों में मन की बात॥ ...
सूर्यास्त मे समा गयीं सूर्योदय की सड़कें, जिन पर चलें हम तमाम दिन सिर और सीना ताने, ...
अपने आपा से पानी का आपा बाँधे, सत्य-शील से तेज धार का तेवर साधे, चारु चरित से अपने तट पर...
घर की फुटन में पड़ी औरतें ज़िन्दगी काटती हैं मर्द की मौह्ब्बत में मिला काल का काला नमक चाटती हैं...
कुछ नहीं कर पा रहे तुम करने के काम से उनकी तरह कतरा रहे तुम; न किए का बोध गर्भ की तरह असमय गिरा रहे तुम;...
लड़ गए लड़ गए बड़े-बूढ़े जवान गिरगिटान, दूसरी क्रान्ति के प्रवर्तक कापालिक महान्,...