लंदन में बिक आया नेता, हाथ कटा कर आया
एटली-बेविन-अंग्रेज़ों में, खोया और बिलाया
भारत-माँ का पूत-सिपाही, पर घर में भरमाया
अंग्रेज़ी साम्राज्यवाद का, उसने डिनर उड़ाया
अर्थनीति में राजनीति में, गहरा गोता खाया
जनवादी भारत का उसने, सब-कुछ वहाँ गवायाँ