झूठ
झूठ- अब झूठ नहीं; त्रिपुंड लगाए सच का अवतार हो गया; रुद्राक्ष की माला गले से लटकाए भाग्य-विधाता विधायक के चरण चाँपकर, दिग्विजय करने में कामयाब हो गया। आसमान में बहुत ऊँचे उठ गया उसका ऐश्वर्य; उद्दंड हो गया- उसका मुस्तंड दमन-चक्र कि फरार हो गया- कंकाल हो गया- आतंकित सत्य। निश्चय ही बरबाद हो गया देश इस त्रिशूलधारी झूठ से।

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