न बोलने पर भी
न बोलने पर भी, मैं सुनता हूँ तुम्हारे बोल तुम्हारी बोलती-आँखों से जो मुझे प्यार से पुकारतीं- और मौन ही निहारती हैं हर हमेश, धूप हो या छाँव- कड़के बादल- चमके बिजली- तड़पें प्राण।

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