मतदाताओं ने
मतदाताओं ने उसे मंत्री बनाया। अब क्या नहीं कर सकता वह? यानी घड़े में सूरज को बंद कर सकता है; आग को आँसू कर सकता है; नदी को दावात में कैद कर सकता है; औरत को बकरी और मर्द को कनखजूरा बना सकता है; रक्त को स्याह और बुद्धि को भ्रष्ट कर सकता है। तभी तो लठैत और गुंडे- ठगैत और संडमुसंडे उसके नाक के बाल बने रात-दिन मालामाल होने में लगे।

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