पीड़ा पकड़े चले पंथ पर
पीड़ा पकड़े चले पंथ पर पानी- पवन- प्रलाप भोगते; आगे-पीछे-दायें-बायें ठौर ठिकाना- जगह टोहते; सत् का ‘पहुँचा’ पकड़ ना पाए; सत् के सम्मुख खड़े बँबाए।

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