चलनी चालते हैं छोटे बड़े आयोग
चलनी चालते हैं छोटे-बड़े आयोग। छेद-छेद से झराझर झरता है तथाकथित यशस्वियों का भ्रष्टाचार, आततायियों का अत्याचार। काँच-काँच के करकते टुकड़ों का लग गया है भारी-भरकम अम्बार। देखता है मेरा देश दाँत-तले अँगुली दबाए-- आश्वर्य-चकित-आँखें उघारे; दर्द-दर्द से कराहता-खाँसता; बर्फ की टोपी सिर पर लगाए, पाँव में पहने सागर का जूता; पेट पीठ में सरकार के पोस्टर चिपकाए।

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