न घास है--
न घास है न घास की सुवास; खूँटे से बँधा घोड़ा अस्तबल में हिनहिनाता है; नथुने फुलाए- दाँत निपोरे- कठोर जमीन को ठकठकाता है; काल की काया को चोट-पर-चोट पहुँचाता है; मुक्त होने और दिग्विजय पर जाने के लिए अकुलाता है; खूँटे को उखाड़ फेंकने के लिए शक्ति और साहस के झटके बारम्बार लगाता है।

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