ऐसा कहते हैं
ऐसा कहते हैं सरकार के ‘चमचे’; न-कुछ से अच्छा है कुछ जो हो रहा है सरकार के माध्यम से इधर-उधर देश विदेश में। सरकार का ‘अच्छा कुछ’ न समाजवाद है- न अध्यात्मवाद- न भौतिकवाद- भ्रम है भ्रम- घटिया भ्रम जो राजनीति में बढ़ रहा है, बुखार की तरह चढ़ रहा है। देशवासियों को यह ‘अच्छा कुछ’ खल रहा है; उनका मन सरकार पलटने का कर रहा है।

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