काल-कवलित हुए यहीं
काल-कवलित हुए यहीं अहिंसावतारी महाबीर तीर्थंकर आम आदमी के समान। अब भी हवा में व्याप्त हुंकारते-हुआते हैं यहाँ आदमियों को डराते मौत के दूत। अकेला सूर्य शासन करता है, बान और बरछी-मारता यमदूतों को- ‘जल मंदिर’ के जलाशय में, मछलियाँ तैरती हैं जहाँ कोइयों के कुल में, कुलबुलाती।

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