कुछ नहीं कर पा रहे तुम
कुछ नहीं कर पा रहे तुम करने के काम से उनकी तरह कतरा रहे तुम; न किए का बोध गर्भ की तरह असमय गिरा रहे तुम; गर्व से ढमाढम ढोल खोखला बजा रहे तुम; दृष्टि में उठे अपनी दूसरों की दृष्टि में गिरे जा रहे तुम; कुछ नहीं कर पा रहे तुम सरेआम एक दूसरे को लतिया रहे तुम; पार्टी की फटफटिया फटफटा रहे तुम; देश को समाजवादी नहीं-- घटिया बना रहे तुम; जाल पर जाल फाँसने-फँसाने का बुनते चले जा रहे तुम; गर्त में गिरते आदमी को गिराते-- रसातल में और अधिक पहुँचाते चले जा रहे तुम।

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