अपने आपा से
अपने आपा से पानी का आपा बाँधे, सत्य-शील से तेज धार का तेवर साधे, चारु चरित से अपने तट पर तरल तरंगित रहने वाली, मनहर छवि से बहने वाली, केन हमारी बाढ़ बाढ़ की महाव्याधि से बौराई है; संयम-सीमा-त्याग तोड़कर कुमति क्रोध से उफनाई है। दूर-दूर तक अनधिकार क्षेत्रों में जाती, गाँव-गाँव जल-प्लावन करती- त्रस्त बनाती; घर बखरी आँगन-आँगन उत्पात मचाती; कच्ची-पक्की एक-एक दीवार गिराती; जोर-जुलुम करती इठलाती; मद से माती जान-माल को, नष्ट-भ्रष्टकर, क्षति पहुँचाती

Read Next