आग नाव में भर कर सूरज चला गया है, आसमान के गुम्बद को जाला जकड़े है पाँवों के नीचे धूमिल धरती उदास है।...
नहीं आया जहाँ कोई नृत्य करने, वहाँ आओ काल की गहराइयों में मुक्त होकर प्यार करने। नहीं आया जहाँ कोई दीप धरने...
चक्र चल रहा है वेग से अत्यधिक प्रमाद से कुचल दिए गए हैं पथिक दुखान्त के रथ का सारथी है बधिक ।...
कंठ से नहीं-- अब पाँव से निकलता है संगीत-- पाँव से उमड़ता है संगीत-- अवश्यम्भावी है...
वहाँ उस आइने में खड़ा है मेरा दोस्त-- शमशेर ! उम्र-क़ैद का अकेला अपराधी बाहर न निकलने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ !...
हाथी-सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ सूरज-सा इंसान, तरेरी आँखों वाला और हुआ एक हथौड़े वाला घर में और हुआ माता रही विचार अंधेरा हरने वाला और हुआ...
हमका न मारौ नजरिया! ऊँची अटरिया माँ बैठी रहौ तुम, राजा की ओढ़े चुनरिया। वेवेल के संगे माँ घूमौ झमाझम,...
चलते-चलते भी न चलकर थक गया दिमाग, पाँव की यात्रा पर गए पाँव न थके विवेक हो गया बैठ गया दूध...
पुकार रहे हो क्या तुम प्रतीक्षा में वक्ष का द्वार खोले बाँसुरी की गूँज पर वहाँ आने के लिए ?...
दूर-दूर तक अतल नील से दिक्-प्रसार को चाँपे, सागर सम्मुख झेल रहा है द्वन्द्व-द्वन्द्व के कराघात की जल पर पड़तीं थापें,...
देश की छाती दरकते देखता हूँ! थान खद्दर के लपेटे स्वार्थियों को, पेट-पूजा की कमाई में जुता मैं देखता हूँ! सत्य के जारज सुतों को,...
कुछ नहीं करता कोई और करते सब हैं कुछ न कुछ किए-न-किए के बराबर। कुछ नहीं जीते कोई...