मार्क्सवाद की रोशनी
दोषी हाथ हाथ जो चट्टान को तोडे़ नहीं वह टूट जाये, लोहे को मोड़े नहीं सौ तार को जोड़े नहीं वह टूट जाये। (मार्क्सवाद की रोशनी में केदारनाथ जी की कविता)

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