पैसा / कहें केदार खरी खरी
पैसा दिमाग में वैसे सुअर जैसे हरे खेत में बाप अब बाप नहीं पैसा अब बाप है पैसे की सुबह और पैसे की शाम है दुपहर की भाग-दौड़ पैसा है पैसे के साथ पड़ी रात है

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