शिकायत पर
शिकायत पर शिकायत है चिड़िया को मुझसे कि उसका घोंसला हटा दिया मैंने कमरे से; बेघरबार हो गई वह भरी बरसात में। शिकायत पर शिकायत है मुझको चिड़िया से कि न बनाया उसने मेरे दिल में अपना घोंसला, बेघरबार होने के बाद; संग-साथ में चहकने और बच्चों के साथ फुर्र-फुदक करने के लिए। शिकायत पर शिकायत है बादल को मुझसे कि न लिखी मैंने उस पर एक कविता, जब कि उसने प्यार-पर-प्यार बरसाया और जी भर नहलाया मुझे। शिकायत पर शिकायत है मुझको बादल से कि न हुआ उसका पानी शब्दों का रत्नहार-पानी, दिग्गजों के कंठ से झूलता झलमल झलकता इंद्रधनुषी-पानी। शिकायत पर शिकायत है बिजली को मुझसे कि न हुआ घायल मैं उसके कटाक्ष को किसी रम्भा का कटाक्ष समझकर बल्कि समझा मैंने उसे अँधेरे में बनी- मिट गई प्रकाश की क्षणभंगुर दरार। शिकायत पर शिकायत है मुझको बिजली से कि बंद हो गई बारंबार उसकी क्षणिक क्षीण दरार; दैत्याकार होता गया अधम अंधकार; दुःस्वप्न में चौंक-चौंक पड़ा मैं और मेरा संसार।

Read Next