मैं हूँ अनास्था पर लिखा
मैं हूँ अनास्था पर लिखा आस्था का शिलालेख नितान्त मौन, किन्तु सार्थक और सजीव कर्म के कृतित्व की सूर्याभिमुखी अभिव्यक्ति; मृत्यु पर जीवन के जय की घोषणा।

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