पस्त हो गई है
पस्त हो गई हैं हाथ की अंगुलियाँ गाँठ की पर्त खोलते-खोलते अंगूठे अब भी खड़े हैं संघर्ष में सिर कटाए आदमी का सिर और सीना विध्वंस से बचाने के लिए

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