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सच है तुमने निरपराध को अपराधी-सा, अफसरशाही के प्रकोप से, नागपाश में जकड़ लिया है;...

मशाल का बेटा धुआँ, गर्व से गगन में गया, शून्य में खोया कोई नहीं रोया।...

हवा ठंडी- बहुत ठंडी मारती है चपत मुझको...

किताब में लिखे तुम, बड़े अच्छे लगते हो कविवर! किताब से बाहर, पेट में पलस्टर लगाए,...

अन्धकार में खड़े हैं प्रकाश के प्रौढ़ स्तम्भ एक नहीं, हज़ार इस पार--उस पार...

छिपी भी न छिपी रह सकी हो तुम भावों में अपने खुल गई हो तुम,...

लुढ़कता रहा हूँ मैं अन्दर आकाश की सलवटों में मार्ग का तल था एक स्वप्न के समीप तो भी आसमान के चौड़े मुख से मैंने खरोंच ली अपनी आँखें बाहर...

सहज खोले अतीन्द्रिय सुगंध के केश टिमकते प्रकाश का पाल ताने प्रकृति चलती चली जा रही है विस्मरण में बही हो जैसे किसी की कोई नाव।...

उसका न्याय सत्य पर आधारित हुआ करता है लेकिन असत्य हँसता है : कि न्याय सत्य को नहीं पकड़ सका।...

थैलीशाहों की यह बिल्ली बड़ी नीच है। मजदूरों का खाना-दाना, सब चोरी से खा जाती है।...

कल, दुर्गा की भुवन-मोहिनी दिव्य मूर्तियाँ...

अंबर का छाया मेघालय तड़-तड़-तड़-तड़ तड़का टूटा, रोर-रोर ही...

सत्ताइस साल में तुम न तुम रह गए तुम न हम रह गए हम तुम हो गए खूँखार...

सिर नहीं- गुलाब तोड़े हैं मैंने क्योंकि मैं सिपाही हूँ-...

घना कोहरा, छिपा सूरज, गगन ओझल, धरा धूमिल,...

देने को तो सब देते हैं लेकिन देते-देते भी तो थोड़े से भी थोड़ा देते...

गिरे तो गिरते गए गिरते-गिरते आचार से...

तुमने गाए- गीत गुँजाए पुरुष हृदय के कामदेव के काव्य-कंठ से...

दोष तुम्हारा नहीं-हमारा है जो हमने तुम्हें इंद्रासन दिया; देश का शासन दिया; तुम्हारे यश के प्रार्थी हुए हम;...

मंदिरों में नहीं-- देवियों के दर्शन दुकानों में होते हैं नाच-गानों में होते हैं...

उठा कर पटक दिया है तुमने मुझ पर धरे अंधकार को पहाड़ के नीचे और वह हो गया है ध्वंस, चकनाचूर और मैं...

मैं जिऊंगा लेकिन अब भूमि में गड़ कर नहीं, पाँव से दब कर नहीं, डट कर लड़ कर...

आग जल रही है जंगल में प्रकाश के साथ दोनों हम उम्र--दोनों जवान वन के बाँस...

एक खिले फूल से झाड़ी के एक खिले फूल ने नीली पंखुरियों के एक खिले फूल ने...

धूप धूपाया यह दिन भाया, जैसे हो मेरी ही काया- कविताओं ने...

नाच रहे पहले के वही वही मोर; नाच रहे पहले के वही वही भालू।...

प्रकाशित खड़ा है पारदर्शी दिन तेजस्वी सूर्य का सिर ऊपर उठाए...

मारा गया लूमर लठैत पुलिस की गोली से किया था उसने कतल...

मोड़ोगे मन या सावन के घन मोड़ोगे? मोड़ोगे तन या शासन के फन मोड़ोगे?...

मंत्रियों! मुसकान से या शान से शासन न बदला खद्दरी यश-गान से खलिहान में आयी न कमला पंचवर्षी योजना भी हो रही है आज विफला खेत के हर बीज से है रोगिनी का हाथ निकला...

मेरी कलम चोंच से लिखती चहचह करते शिल्पित शब्द। पंक्तिबद्ध हो जो उड़ते हैं,...

इसी जन्म में, इस जीवन में, हमको तुमको मान मिलेगा। गीतों की खेती करने को, ...

एक हथौड़ेवाला घर में और हुआ ! हाथी सा बलवान, जहाजी हाथों वाला और हुआ ! सूरज-सा इन्सान,...

आज नदी बिलकुल उदास थी। सोई थी अपने पानी में, उसके दर्पण पर- बादल का वस्त्र पडा था। ...

कोई नहीं सुनता झरी पत्तियों की झिरझिरी न पत्तियों के पिता पेड़ न पेड़ों के मूलाधार पहाड़ ...

गुम्बज के ऊपर बैठी है, कौंसिल घर की मैना । सुंदर सुख की मधुर धूप है, सेंक रही है डैना ।। तापस वेश नहीं है उसका, वह है अब महारानी । त्याग-तपस्या का फल पाकर, जी में बहुत अघानी ।।...

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है जो रवि के रथ का घोड़ा है...

हमारी जिन्दगी के दिन, बड़े संघर्ष के दिन हैं। हमेशा काम करते हैं, मगर कम दाम मिलते हैं।...

ऐसे भी लोग हैं इस देश में जो न देश में हैं- न विदेश में; जो न अपने हैं-न पराए;...

वाद्य विद्या में ढोलक और मजीरे एक-दूसरे के सहयोगी हुए, कला में पारंगत...