हवा ठंडी
हवा ठंडी- बहुत ठंडी मारती है चपत मुझको बार-बार। धूप मेरी पीठ करती ताप तापित बार-बार। द्वन्द्व यह निर्द्वन्द्व होकर झेलता हूँ मार खाता पीठ अपनी सेंकता हूँ-

Read Next