मशाल का बेटा धुआँ
मशाल का बेटा धुआँ, गर्व से गगन में गया, शून्य में खोया कोई नहीं रोया। मशाल की बेटी आग यहीं धरती पर रही, चूल्हे में आई नसों में समाई।

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