वह
सच है तुमने निरपराध को अपराधी-सा, अफसरशाही के प्रकोप से, नागपाश में जकड़ लिया है; निस्सहाय है आज किंतु वह नहीं मरा है-नहीं मरेगा! सच है तुमने जीवन का स्वर, और सत्य का मुखर सबेरा, कारागृह की दीवारों में कैद किया है; निस्सहाय है आज किंतु वह नहीं मरा है-नहीं मरेगा!

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