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बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे भजन बिना रे॥ बाल अवस्था खेल गँवायो। जब यौवन तब मान घना रे॥...

राम बिनु तन को ताप न जाई। जल में अगन रही अधिकाई॥ राम बिनु तन को ताप न जाई॥ तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।...

पानी बिच मीन पियासी। मोहि सुनि सुनि आवत हाँसी॥ आतम ग्यान बिना सब सूना, क्या मथुरा क्या कासी। घर में वसत धरीं नहिं सूझै, बाहर खोजन जासी॥...

एकै कुँवा पंच पनिहारी। एकै लेजु भरै नो नारी॥ फटि गया कुँआ विनसि गई बारी। विलग गई पाँचों पनिहारी॥...

मै कहता हौं आँखन देखी, तू कहता कागद की लेखी। मै कहता सुरझावन हारी, तू राख्यो अरुझाई रे॥ मै कहता तू जागत रहियो, तू जाता है सोई रे। मै कहता निरमोही रहियो, तू जाता है मोहि रे॥...

कस्तूरी कुँडल बसै, मृग ढ़ुढ़े बब माहिँ। ऎसे घटि घटि राम हैं, दुनिया देखे नाहिँ॥ प्रेम ना बाड़ी उपजे, प्रेम ना हाट बिकाय। राजा प्रजा जेहि रुचे, सीस देई लै जाय॥...

काल काल तत्काल है, बुरा न करिये कोय। अन्बोवे लुनता नहीं, बोवे तुनता होय॥ या दुनिया में आय के, छाड़ि दे तू ऐंठ। लेना होय सो लेइ ले, उठी जात है पैंठ॥...

जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ । धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ ॥2॥...

रचनहार कूं चीन्हि लै, खैबे कूं कहा रोइ । दिल मंदिर मैं पैसि करि, ताणि पछेवड़ा सोइ ॥1॥ भूखा भूखा क्या करैं, कहा सुनावै लोग । भांडा घड़ि जिनि मुख दिया, सोई पूरण जोग ॥2॥...

मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा॥ आसन मारि मंदिर में बैठे, ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा॥...

जैसी मुख तैं नीकसै, तैसी चालै चाल । पारब्रह्म नेड़ा रहै, पल में करै निहाल ॥1॥ पद गाए मन हरषियां, साषी कह्यां अनंद । सो तत नांव न जाणियां, गल में पड़िया फंद ॥2॥...

`कबीर' मारूँ मन कूं, टूक-टूक ह्वै जाइ । बिष की क्यारी बोइ करि, लुणत कहा पछिताइ ॥1॥ आसा का ईंधण करूँ, मनसा करूँ बिभूति । जोगी फेरि फिल करूँ, यौं बिनना वो सूति ॥2॥...

गुरु सो ज्ञान जु लीजिये, सीस दीजये दान। बहुतक भोंदू बहि गये, सखि जीव अभिमान॥१॥ गुरु की आज्ञा आवै, गुरु की आज्ञा जाय। कहैं कबीर सो संत हैं, आवागमन नशाय॥२॥...

चाल बकुल की चलत है, बहुरि कहावै हंस। ते मुक्ता कैसे चुगे, पड़े काल के फंस॥ बाना पहिरे सिंह का, चलै भेड़ की चाल। बोली बोले सियार की, कुत्ता खावै फाल॥...

सुख - दुःख सिर ऊपर सहै, कबहु न छाडै संग। रंग न लागै और का, व्यापै सतगुरु रंग॥ कबीर गुरु कै भावते, दुरहि ते दीसन्त। तन छीना मन अनमना, जग से रूठि फिरंत॥...

कबीर सोई दिन भला, जा दिन साधु मिलाय। अंक भरे भरि भेरिये, पाप शरीर जाय॥ दरशन कीजै साधु का, दिन में कइ कइ बार। आसोजा का भेह ज्यों, बहुत करे उपकार॥...

सवेक - स्वामी एक मत, मत में मत मिली जाय। चतुराई रीझै नहीं, रीझै मन के भाय॥ सतगुरु शब्द उलंघ के, जो सेवक कहुँ जाय। जहाँ जाय तहँ काल है, कहैं कबीर समझाय॥...

माँगन गै सो मर रहै, मरै जु माँगन जाहिं। तिनते पहिले वे मरे, होत करत हैं नहिं॥ अजहूँ तेरा सब मिटै, जो मानै गुरु सीख। जब लग तू घर में रहैं, मति कहुँ माँगे भीख॥...

भक्ति बीज पलटै नहीं, जो जुग जाय अनन्त। ऊँच नीच घर अवतरै, होय सन्त का सन्त॥ भक्ति पदारथ तब मिलै, तब गुरु होय सहाय। प्रेम प्रीति की भक्ति जो, पूरण भाग मिलाय॥...

कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन की आस। टेसू फूला दिवस दस, खंखर भया पलास॥ कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन कि आस। इस दिन तेरा छत्र सिर, देगा काल उखाड़॥...

काहे कै ताना काहे कै भरनी, कौन तार से बीनी चदरिया॥१॥ इडा पिङ्गला ताना भरनी, सुखमन तार से बीनी चदरिया॥२॥...

ऋतु फागुन नियरानी हो, कोई पिया से मिलावे। सोई सुदंर जाकों पिया को ध्यान है, सोई पिया की मनमानी,...

मेरा मुझमें कुछ नहीं, जो कुछ है सो तोर । तेरा तुझकौं सौंपता, क्या लागै है मोर ॥1॥ `कबीर' रेख स्यंदूर की, काजल दिया न जाइ । नैनूं रमैया रमि रह्या, दूजा कहाँ समाइ ॥2॥...

प्रेम न बाड़ी ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय। राजा परजा जेहि रूचै, सीस देइ ले जाय॥ जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहिं। प्रेम गली अति साँकरी, तामें दो न समाहिं॥...

दिवाने मन, भजन बिना दुख पैहौ ॥ पहिला जनम भूत का पै हौ, सात जनम पछिताहौउ। काँटा पर का पानी पैहौ, प्यासन ही मरि जैहौ ॥ १॥ दूजा जनम सुवा का पैहौ, बाग बसेरा लैहौ ।...

राम बिनु तन को ताप न जाई । जल में अगन रही अधिकाई ॥ राम बिनु तन को ताप न जाई ॥ तुम जलनिधि मैं जलकर मीना ।...

मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै। हीरा पायो गाँठ गँठियायो, बार-बार वाको क्यों खोलै। हलकी थी तब चढी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोलै। सुरत कलाली भई मतवाली, मधवा पी गई बिन तोले।...

साधो ये मुरदों का गांव पीर मरे पैगम्बर मरिहैं मरि हैं जिन्दा जोगी राजा मरिहैं परजा मरिहै...

साधो, देखो जग बौराना । साँची कही तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना । हिन्दू कहत,राम हमारा, मुसलमान रहमाना । आपस में दौऊ लड़ै मरत हैं, मरम कोई नहिं जाना ।...

राजा के जिया डाहें, सजन के जिया डाहें ईहे दुलहिनिया बलम के जिया डाहें। चूल्हिया में चाउर डारें हो हँड़िया में गोंइठी चूल्हिया के पछवा लगावतड़ी लवना।...

तूने रात गँवायी सोय के, दिवस गँवाया खाय के। हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय॥ सुमिरन लगन लगाय के मुख से कछु ना बोल रे। बाहर का पट बंद कर ले अंतर का पट खोल रे।...

रे दिल गाफिल गफलत मत कर एक दिना जम आवेगा॥ टेक॥ सौदा करने या जग आया पूजी लाया मूल गँवाया...

सुपने में सांइ मिले सोवत लिया लगाए आंख न खोलूं डरपता मत सपना है जाए...

लेखा देणां सोहरा, जे दिल सांचा होइ । उस चंगे दीवान में, पला न पकड़ै कोइ ॥1॥ साँच कहूं तो मारिहैं, झूठे जग पतियाइ । यह जग काली कूकरी, जो छेड़ै तो खाय ॥2॥...

मँड़ये के चारन समधी दीन्हा, पुत्र व्यहिल माता॥ दुलहिन लीप चौक बैठारी। निर्भय पद परकासा॥ भाते उलटि बरातिहिं खायो, भली बनी कुशलाता। पाणिग्रहण भयो भौ मुँडन, सुषमनि सुरति समानी, ...

घूँघट का पट खोल रे, तोको पीव मिलेंगे। घट-घट मे वह सांई रमता, कटुक वचन मत बोल रे॥ धन जोबन का गरब न कीजै, झूठा पचरंग चोल रे। सुन्न महल मे दियना बारिले, आसन सों मत डोल रे॥...

देखि-देखि जिय अचरज होई यह पद बूझें बिरला कोई॥ धरती उलटि अकासै जाय, चिउंटी के मुख हस्ति समाय। बिना पवन सो पर्वत उड़े, जीव जन्तु सब वृक्षा चढ़े। सूखे सरवर उठे हिलोरा, बिनु जल चकवा करत किलोरा। ...

मोको कहां ढूँढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में ना तीरथ मे ना मूरत में ना एकान्त निवास में...

कबीर मन तो एक है, भावै तहाँ लगाव। भावै गुरु की भक्ति करू, भावै विषय कमाव॥ कबीर मनहिं गयन्द है, अंकुश दै दै राखु। विष की बेली परिहारो, अमृत का फल चाखू ॥...

कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय । दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय ॥ कबीर संगत साधु की, जौ की भूसी खाय। खीर खांड़ भोजन मिलै, साकत संग न जाय ॥...