राजा के जिया डाहें
राजा के जिया डाहें, सजन के जिया डाहें ईहे दुलहिनिया बलम के जिया डाहें। चूल्हिया में चाउर डारें हो हँड़िया में गोंइठी चूल्हिया के पछवा लगावतड़ी लवना। अँखियाँ में सेनुर कइली हो, पिठिया पर टिकुली धइ धई कजरा एँड़िये में पोतें। सँझवे के सुत्तल भिनहिये के जागें ठीक दुपहरिया में दियना के बारें। कहेलें कबीर सुनो रे भइया साधो हड़िया चलाइ के भसुरू के मारें।

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