खिड़की बंद, किंवाड़े बंद, मेरे कोठे में कोठे की आत्मा बंद। बाहर दुनिया खुली-खुली,...
तुम आ गई हो मेरे अस्तित्व में अपने अस्तित्व से निकल कर भरपूर बढ़ रहे अपने व्यक्तित्व के साथ जहाँ व्याप्त हूँ मैं...
हल चलते हैं फिर खेतों में फटती है फिर काली मिट्टी बोते हैं फिर बिया किसान कल के जीवन के वरदान;...
न बुलाओ तुम मुझे इस समय अपने पास खोदनी है अभी मुझे आसपास उग आई बेकार विचारों की घास, तोड़ने हैं मुझे अभी...
कैसे जिएँ कठिन है चक्कर निर्बल हम बलीन है मक्कर तिलझन ताबड़तोड़ कटाकट हड्डी की लोहे से टक्कर।...
गेहूँ में गेरुआ लगा, घोंघी ने खा लिया चना, बिल्कुल बिगड़ा, खेल बना। अब आफत से काम पड़ा,...
लिपट गयी जो धूल लिपट गयी जो धूल पांव से वह गोरी है इसी गांव की जिसे उठाया नहीं किसी ने ...
हम जिएँ न जिएँ दोस्त तुम जियो एक नौजवान की तरह, खेत में झूम रहे धान की तरह, मौत को मार रहे वान की तरह।...
राजनीति नंगी औरत है कई साल से जो यूरुप में आलिंगन के अंधे भूखे कई शक्तिशाली गुंडों को...
आवरण के भीतर है एक आवरण और भीतर के भीतर है एक आवरण और भीतर के भीतर के भीतर है एक आवरण और...
बजते उन्हीं के अब नगाड़े हैं पढ़ते जो मरण के पहाड़े हैं अशरण के शरण के अखाड़े हैं संकट को मार-मार माँड़े हैं...