हम चलते हैं फिर खेतों में
हल चलते हैं फिर खेतों में फटती है फिर काली मिट्टी बोते हैं फिर बिया किसान कल के जीवन के वरदान; फिर उपजेगा उन्नत-मस्तक सिंह अयाली नाज फिर गरजेगी कष्ट-बिदारक धरती की आवाज़।

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