वह पठार जो जड़ बीहड़ था
वह पठार जो जड़ बीहड़ था कटते-कटते ध्वस्त हो गया, धूल हो गया, सिंचते-सिंचते, दूब हो गया, और दूब पर वन के मन के- रंग -रूप के, फूल खिल उठे, वन फूलों से गंध-गंध संसार हो गया।

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