कल
कल जब नई पीढ़ी तुम्हें भोगते-भोगते- जाँबाज और जवान होगी, देश के दर्द की तब उसे सही और सटीक पहचान होगी। तब, वह तुम्हें समझेगी; शेर की तरह तुम पर झपटेगी। न बच पाओगे तुम; न बच पाएगा तुम्हारा जंगली जनतंत्र- आदमियों के मारने का तुम्हारा चौमुखी षड्यंत्र।

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