सूरदास ने कभी कहा था
सूरदास ने कभी कहा था नारी को शृंगार भाव से, ‘अद्भुत एक अनूपम बाग’। युग बदला, अब नारी बदली, नहीं रही वह बाग पुरातन। अब नारी है नर के साथ। करनी करते उसके हाथ।

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