अब क्या होगा इसे सोच कर, जी भारी करने मे क्या है, जब वे चले गए हैं ओ मन, तब आँखें भरने मे क्या है। जो होना था हुआ, अन्यथा करना सहज नहीं हो सकता, पहली बातें नहीं रहीं, तब रो रो कर मरने मे क्या है?...
जैसे याद आ जाता है चेहरा किसी का सामने पड़ जाने पर और नाम उसका याद नहीं आता या जैसे एकाध- बार...
एक बहुत ही तन्मय चुप्पी ऐसी जो माँ छाती में लगाकर मुँह चूसती रहती है दूध मुझसे चिपककर पड़ी है ...
धुंधला है चन्द्रमा सोया है मैदान घास का ओढ़े हुए धुंधली–सी चाँदनी और गंध घास की ...
कहते हैं इस साल हर साल से पानी बहुत ज्यादा गिरा पिछ्ले पचास वर्षों में किसी को इतनी ज्यादा बारिश की याद नहीं है।...
लाख शब्दों के बराबर है एक तस्वीर ! मेरे मन में है एक ऐसी झाँकी जो मेरे शब्दों ने कभी नहीं आँकी...
हो दोस्त या कि वह दुश्मन हो, हो परिचित या परिचय विहीन तुम जिसे समझते रहे बड़ा या जिसे मानते रहे दीन...
मैं कोई पचास-पचास बरसों से कविताएँ लिखता आ रहा हूँ अब कोई पूछे मुझसे कि क्या मिलता है तुम्हें ऐसा...
साल शुरू हो दूध दही से साल खत्म हो शक्कर घी से पिपरमैंट, बिस्कुट मिसरी से रहें लबालव दोनों खीसे...
बूंद टपकी एक नभ से किसी ने झुक कर झरोखे से कि जैसे हंस दिया हो हंस रही-सी आंख ने जैसे...
सतपुड़ा के घने जंगल। नींद मे डूबे हुए से ऊँघते अनमने जंगल। झाड ऊँचे और नीचे,...
मैं असभ्य हूँ क्योंकि खुले नंगे पाँवों चलता हूँ मैं असभ्य हूँ क्योंकि धूल की गोदी में पलता हूँ मैं असभ्य हूँ क्योंकि चीरकर धरती धान उगाता हूँ मैं असभ्य हूँ क्योंकि ढोल पर बहुत ज़ोर से गाता हूँ...
तो पहले अपना नाम बता दूँ तुमको, फिर चुपके चुपके धाम बता दूँ तुमको तुम चौंक नहीं पड़ना, यदि धीमे धीमे मैं अपना कोई काम बता दूँ तुमको।...
आराम से भाई ज़िन्दगी ज़रा आराम से तेज़ी तुम्हारे प्यार की बर्दाशत नहीं होती अब इतना कसकर किया आलिंगन...
झुर्रियों से भरता हुआ मेरा चेहरा पहरा बन गया है मानो तरुण मेरी इच्छाओं पर बरबस रुक जाता हूँ...
जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ। मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ; मैं क़िसिम-क़िसिम के गीत ...
आज पानी गिर रहा है, बहुत पानी गिर रहा है, रात भर गिरता रहा है, प्राण मन घिरता रहा है,...
मुझे कोई हवा पुकार रही है कि घर के बाहर निकलो तुम्हारे बाहर आए बिना एक समूची जाति एक समूची संस्कृति...