अच्छा अनुभव
मेरे बहुत पास मृत्यु का सुवास देह पर उस का स्पर्श मधुर ही कहूँगा उस का स्वर कानों में भीतर मगर प्राणों में जीवन की लय तरंगित और उद्दाम किनारों में काम के बँधा प्रवाह नाम का एक दृश्य सुबह का एक दृश्य शाम का दोनों में क्षितिज पर सूरज की लाली दोनों में धरती पर छाया घनी और लम्बी इमारतों की वृक्षों की देहों की काली दोनों में कतारें पंछियों की चुप और चहकती हुई दोनों में राशियाँ फूलों की कम-ज्यादा महकती हुई दोनों में एक तरह की शान्ति एक तरह का आवेग आँखें बन्द प्राण खुले हुए अस्पष्ट मगर धुले हुऐ कितने आमन्त्रण बाहर के भीतर के कितने अदम्य इरादे कितने उलझे कितने सादे अच्छा अनुभव है मृत्यु मानो हाहाकार नहीं है कलरव है!

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