Bhawani Prasad Mishra
( 1913 - 1985 )

Bhawani Prasad Mishra (Hindi: भवानी प्रसाद मिश्र) was a Hindi poet and author. He was honoured with Sahitya Akademi Award in 1972 for his book Buni Hui Rassi. Born on 29 March 1913 in the village Tigaria of Hoshangabad district in erstwhile Central Province of British India. Bhawani Bhai lived for a long time in Delhi but died on 20 February 1985 amidst his family members at Narsinghpur town of Madhya Pradesh where he had gone to attend a marriage function. More

आडम्बर में समाप्त न होने पाए पवित्रता और समाप्त न होने पाए...

हवा मेरे घर का चक्कर लगाकर अभी वन में चली जाएगी भेजेगी मन तक...

बहुत नहीं थे सिर्फ चार कौए थे काले उन्होंने यह तय किया कि सारे उड़ने वाले उनके ढंग से उड़ें, रुकें, खायें और गायें वे जिसको त्योहार कहें सब उसे मनायें।...

मन में जगह है जितनी उस सब में मैंने फूल की...

होने को सिर्फ़ दो हैं हम मगर कम नहीं होते दो...

एक सीध में दूर-दूर तक गड़े हुए ये खंभे किसी झाड़ से थोड़े नीचे, किसी झाड़ से लम्बे। कल ऐसे चुपचाप खड़े थे जैसे बोल न जानें किन्तु सबेरे आज बताया मुझको मेरी माँ ने -...

मैं जो हूँ मुझे वहीं रहना चाहिए। यानी वन का वृक्ष...

मुझे पंछी बनाना अबके या मछली या कली और बनाना ही हो आदमी...

भई, सूरज ज़रा इस आदमी को जगाओ! भई, पवन ज़रा इस आदमी को हिलाओ!...

तारों से भरा आसमान ऊपर हृदय से हरा आदमी भू पर होता रहता हूं रोमांचित वह देख कर यह छूकर।...