पुकार कर
मुझे कोई हवा पुकार रही है कि घर के बाहर निकलो तुम्हारे बाहर आए बिना एक समूची जाति एक समूची संस्कृति हार रही है मुझे कोई हवा पुकार रही है। सोचता हूँ सुनने की शक्ति बची है तो चल पड़ने की भी मिल जाएगी अकेला भी निकल पड़ा पुकार कर तो धरती हिल जाएगी।

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