बेदर्द
मैंने निचोड़कर दर्द मन को मानो सूखने के ख़याल से रस्सी पर डाल दिया है और मन सूख रहा है बचा-खुचा दर्द जब उड़ जाएगा तब फिर पहन लूँगा मैं उसे माँग जो रहा है मेरा बेवकूफ तन बिना दर्द का मन !

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