ऐसा भी होगा
इच्छाए उमडती हैं तो थक जाता हूँ, कभी एकाध इच्छा थोडा चलकर तुम्हारे सिरहाने रख जाता हूँ। जब तुम्हारी आंख खुलती है, तो तुम उसे देखकर सोचती हो, यह कोई चीज- तुम्हारी इच्छा से मिलती-जुलती है। कभी ऐसा भी होगा? जबमेरी क्लांति, कोई भी इच्छातुम्हारे सिरहाने तक रखने नहीं जाएगी, तब, वहां के खालीपन को देखकर, शायद तुम्हें याद आएगी अपनी इच्छा से मिलती-जुलती मेरी किसी इच्छा की।

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