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मैंने अपराध किया है चांद को चूमकर लजा दिया है दंड दो मुझे...

मैंने देखा : यह बरखा का दिन! मायावी मेघों ने सिर का सूरज काट लिया; गजयूथों ने आसमान का आँगन पाट दिया;...

सभी तो जीते हैं जमीन जहान मकान...

चम्मचों से नहीं आकंठ डूब कर पिया जाता है दुख को दुख की नदी में और तब जिया जाता है...

‘पैटर्न’ वही है पैसेवाला ब्याह हो या चुनाव।...

उजाला इस ज़माने का जाला है आदमी ने जिसे अपने बचाव में...

गेंदे के फूल-से फूले हैं दिन, आओ तुम आओ तो गुलाब भी खिलें,...

आवरण है और नहीं भी है निरावरण दृष्टि चाहिए निरावरण देखने के लिए...

ऐसे आओ जैसे गिरि के श्रृंग शीश पर रंग रूप का क्रीट लगाये बादल आये,...

एक के बाद एक हुए तीन हत्याकांड एक-से-एक लोमहर्षक।...

न-कुछ-जीवी व्यक्ति कुछ-जीवी व्यक्तियों से कटा-कटा, निजत्व में टिका,...

कागज के गज गजब बढ़े; धम-धम धमके पाँव पड़े,...

चरित्र सब चालते हैं अपनी चलनी में सोना निकालने के लिए मिट्टी निकलती है मिट्टी...

वे गए जो बह गए बाढ़ में; रह गए लोग बह गए लोगों का मसान...

जाता हूँ उत्तर से दक्षिण दो बरसों के बाद; मुझे बुलाता है ‘मदरास’,...

खड़ा है बुजुर्गवार इमली का पेड़ निर्वाक- पुरनिया-...

परांगमुख हो गया पेड़ से टूटकर पेड़ का पत्ता। पाताल में...

बढ़ते-बढ़ते बढ़ गया लोकतंत्री जीवन में आसुरी उत्पात; आतंकित हैं सभी...