पैटर्न
‘पैटर्न’ वही है पैसेवाला ब्याह हो या चुनाव। पैसे के अभाव में न ब्याह हुआ अच्छा न चुनाव। बड़ा बोलबाला है पैसे ही पैसे का घर और देश में। पैसे पर टिका टिका पैसे का प्रजातंत्र जगह-जगह जीता है-- सिर धुनता धुआँ-धुआँ पीता है।

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