न-कुछ-जीवी व्यक्ति
न-कुछ-जीवी व्यक्ति कुछ-जीवी व्यक्तियों से कटा-कटा, निजत्व में टिका, अस्तित्व की अजनबी रेखाएँ खींचते-खींचते, कभी वृत्त- कभी त्रिकोण- कभी बिन्दु- कभी शून्य के परिवेश का ज्यामितिक जीवन भोगता है; न आदमी बनता है- न आदमी लगता है- न द्वन्द्व करता है- न कर्म करता है- निजत्व में लुका-छिपा रहता है।

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