वे गए
वे गए जो बह गए बाढ़ में; रह गए लोग बह गए लोगों का मसान आँखों में जलाए, पानी का प्रकोप भोगते हैं; खड़े, पड़े, बैठे आसपास-इधर-उधर विनाश की अस्मिता में बच रही अपनी अस्मिता खोजते हैं; काँपते- कराहते- तड़पती अँगुलियों से सुकुमार कलियों की मानसिक माला पोहते हैं।

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